माँ बाप को ही गर दे दिया,उसने उलट जवाब तो फिर उसका व्यर्थ है,पढना चार किताब…!!
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माँ के पैरो से
न अपनों से खुलता है, न ही गैरों से खुलता है. ये जन्नत का दरवाज़ा है, माँ के पैरो से खुलता है.!!
जिस का अंत नहीं
ऊपर जिस का अंत नहीं उसे आसमान कहते है, जहान में जिस का अंत नहीं उसे माँ कहते है
माँ के प्यार में
दौलत छोड़ी दुनिया छोड़ी सारा खज़ाना छोड़ दिया; माँ के प्यार में दीवानों ने राज घराना छोड़ दिया; . दरवाज़े पे जब लिखा हमने नाम अपनी माँ का; मुसीबत ने दरवाज़े पे आना छोड़ दिया।
उठाया गोद में
बुलंदियों का बड़े से बड़ा निशान छुआ, उठाया गोद में माँ ने तब आसमान छुआ
रोता रहा रात भर
मै रोता रहा रात भर मगर फैंसला न कर सका, तू याद आ रही है, या मैं याद कर रहा हूँ…
छोड़ दिया उसका
छोड़ दिया उसका इंतजार करना हमेशा के लिए.. ऐ दोस्तों जिसे निगाह की क़दर नहीं.. उसे मूड मूड कर क्या देखना
हम ही हम थे
उनकी बातों मैं प्यार के तेवर कम थे… जब आँखों में झाँका तो हम ही हम थे…!
अज़ब माहौल है
अज़ब माहौल है हमारे मुल्क का… मज़हब थोपा जाता है, इश्क रोका जाता है….
ऊसके जैसी कोई
ऊसके जैसी कोई ओर कैसे हो सकती है , और अब तो वो खुद अपने जैसी नहीं रही..