तुम्हारी बेरूखी ने

तुम्हारी बेरूखी ने लाज रख ली बादाखाने की……! तुम आंखों से पिला देते तो पैमाने कहाँ जाते…..

दीवार क्या गिरी

दीवार क्या गिरी मेरे कच्चे मकान की, लोगों ने मेरे घर से रास्ते बना लिए

करीब आ जाओ

करीब आ जाओ जीना मुश्किल है तुम्हारे बिना, दिल को तुम से ही नही, तुम्हारी हर अदा से मोहब्बत है…

इधर आओ जी भर के

इधर आओ जी भर के हुनर आज़माएँ, तुम तीर आज़माओ, हम ज़िग़र आज़माएँ..

ज़िंदगी कम लगे

ज़िंदगी कम लगे ऐसी मोहब्बत चाहिए, मुझे अपने वजूद की पूरी कीमत चाहिए…!

और भी शेर है

और भी शेर है लिखने को तिरंगा तो कम से कम साफ़ रहने दो भाई

ये बात मुझे आज तक

ये बात मुझे आज तक समझ नहीं आई.. तुमहे मैं “सुकुन” बुलाऊ या “बेचैनी”..

कब आ रहे हो

कब आ रहे हो मुलाकात के लिये, हमने चाँद रोका है, एक रात के लिये…!!

तुम तो फुहार सी थीं….

तुम तो फुहार सी थीं…. पर तुम्हारी यादें… मूसलाधार हैं…

कभी हूँ हर खुशी की

कभी हूँ हर खुशी की राह में दीवार काँटों की, कभी हर दर्द के मारे की आँखों की नमी हूँ मैं….

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