अब कहां दुआओं में वो बरक्कतें,…वो नसीहतें …वो हिदायतें, अब तो बस जरूरतों का जलूस हैं …मतलबों के सलाम हैं
Tag: पारिवारिक शायरी
आँखों में रहा दिल
आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा कश्ती के मुसाफिर ने समंदर नहीं देखा पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहने वाला मैं मोम हूँ उसने मुझे छू कर नहीं देखा|
हम ने मोहब्बत के
हम ने मोहब्बत के नशे में आ कर उसे खुदा बना डाला; होश तब आया जब उस ने कहा कि खुदा किसी एक का नहीं होता।
आज हम हैं
आज हम हैं कल हमारी यादें होंगी जब हम ना होंगे तब हमारी बातें होंगी कभी पलटोगे जिंदगी के ये पन्ने तब शायद आपकी आंखों से भी बरसातें होंगी|
एक दिन इस
एक दिन इस दुनियाँ से हम चले जायेंगे ! हजारों तारों में हम आपको नज़र आयेंगे !! आप कोई ख्वाइश खुदा से माँगना….!! हम उसे पूरा करने के लिए उसी वक्त टूट जायेंगे !!
सदियों से जागी
सदियों से जागी आँखों को एक बार सुलाने आ जाओ; माना कि तुमको प्यार नहीं, नफ़रत ही जताने आ जाओ; जिस मोड़ पे हमको छोड़ गए हम बैठे अब तक सोच रहे; क्या भूल हुई क्यों जुदा हुए, बस यह समझाने आ जाओ।
एक अजीब सा
एक अजीब सा मंजर नज़र आता हैं … हर एक आँसूं समंदर नज़र आता हैं कहाँ रखूं मैं शीशे सा दिल अपना .. हर किसी के हाथ मैं पत्थर नज़र आता हैं|
उनसे दूर जाने का
उनसे दूर जाने का इरादा ना था, सदा साथ रहने का वादा भी ना था, वो याद नहीं करेंगे जानते थे हम, पर इतनी जल्दी भुल जाऐंगे अंदाज़ा ना था.
यह कह कर
यह कह कर मेरा दुश्मन मुझे हँसते हुए छोड़ गया; कि तेरे अपने ही बहुत हैं तुझे रुलाने के लिए।
दिल की बातें
मेरी चाहतें तुमसे अलग कब हैं, दिल की बातें तुम से छुपी कब हैं; तुम साथ रहो दिल में धड़कन की जगह, फिर ज़िन्दगी को साँसों की ज़रूरत कब है।