ये सोच कर रोज मिलते हैं

ये सोच कर रोज मिलते हैं हम उनसे, शायद कभी तो पहली मुलाक़ात हो।

आज दर्द उतना ही हैं

आज दर्द उतना ही हैं मेरे भीतर, जैसे शराब से भरा हुआ जाम। अब और भरो तो छलक आएगा।

एक सुबह हो जाती हैं

एक सुबह हो जाती हैं हर शाम मेरी, ऐसा भी एक रात रहती हैं मेरे दिन में।

जब से तुम्हारा पता

जब से तुम्हारा पता मालूम हुआ हैं। पता नही क्या क्या भूल गया हूँ मैं।

तुमसे हारा मैं

तुमसे हारा मैं, जिस बात पर, तुम्हारे बात ना करने की बात थी।

ये बेवजह मेंरा वजह ढूंढ

ये बेवजह मेंरा वजह ढूंढ लाना, तेरी दी हुई आदतों में से ही एक हैं।

वो अनजान चला है

वो अनजान चला है ईश्वर को पाने की खातिर.. बेख़बर को इत्तला कर दो की माँ-बाप घर पर ही है……….

परेशान देखता हूँ आजकल

देखता हूँ आजकल चहेरे -चहेरे पर मैं एक , थकान देखता हूँ आजकल , जिसको देखो उसको, परेशान देखता हूँ आजकल ।। . परिंदों को नोचते हुये,आसमान देखता हूँ आजकल , कश्तियों से लड़ते हुये , तूफान देखता हूँ आजकल ।। . सरहद के इस पार , उस पार , जब से तनाव बढ़ा ,… Continue reading परेशान देखता हूँ आजकल

कब तक लब्जो की

कब तक लब्जो की कारीगरी करता रहूँ समझ जाओ ना में तुमसे प्यार करता हूँ

जख्म है कि दिखते

जख्म है कि दिखते …….. नही , मगर ये मत समझिए कि दुखते नही…..!!

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