एहसास-ए-मोहब्बत में

एहसास-ए-मोहब्बत में बस इतना ही काफी है… तेरे बगैर भी तेरे साथ रहते हैं…

मैंने तो माँगा था

मैंने तो माँगा था थोड़ा सा उजाला अपनी जिंदगी में , वाह रे चाहने वाले तूने तो आग ही लगा दी जिंदगी में !!

वो दुआएं काश

वो दुआएं काश मैने दीवारों से मांगी होती, ऐ खुदा.. सुना है कि उनके तो कान होते है!!

तुम ना लगा पाओगे

तुम ना लगा पाओगे अंदाजा मेरी तबाही का, तुमने देखा ही कहाँ है मुझे शाम होने के बाद….

ये लफ़्ज़ों की शरारत है

ये लफ़्ज़ों की शरारत है, ज़रा संभाल कर लिखना तुम; मोहब्बत लफ्ज़ है लेकिन ये अक्सर हो भी जाती है।

दिल में आयी थी

दिल में आयी थी वो बहुत से रास्तो से, जाने का रास्ता ना मिला तो वो दिल ही तोड़ गयी…!!!

तुम कभी गलतफहमी में

तुम कभी गलतफहमी में रहते हो…कभी उलझन में रहते हो , इतनी जगह दी है तुमको दिल में तुम वहाँ क्यों नहीं रहते…!!

उसके रूठने की

उसके रूठने की अदायें भी, क्या गज़ब की है, बात-बात पर ये कहना, सोंच लो .. फ़िर मैं बात नही करूंगी।

अजीब सी उलझन

अजीब सी उलझन भरी है इश्क की राहें । बेचारा आशिक कितना सम्भल के चले ।

मैं तुझमें ही

मैं तुझमें ही छुप छुप के तेरी आँखें पढता हूँ…. कौन तुझे यूँ प्यार करेगा जैसे मैं करता हूँ|

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