कुछ बातों के मतलब

कुछ बातों के मतलब हैं, और कुछ मतलब की बातें, जब से फर्क समझा,साहेब जिंदगी आसान हो गई।

दिल खामोश सा

दिल खामोश सा रहता है आज कल…. मुझे शक है कहीं मर तो नही गया

जाने क्या था..

जाने क्या था.. जाने क्या है जो मुझसे छूट रहा है.. यादें कंकड़ फेंक रही हैं और दिल अंदर से टूट रहा है|

तू इस तरह

तू इस तरह से मेरे साथ बेवफ़ाई कर कि तेरे बाद मुझे कोई बेवफ़ा न लग…

मंज़िल का पता है

मंज़िल का पता है न किसी राहगुज़र का बस एक थकन है कि जो हासिल है सफ़र का…

अब तो आंखे भी

अब तो आंखे भी थक गई तेरी याद में रोते-रोते,कम्बख्त दिल है कि तुजे भुलाना ही नही चाहता|

कैसे अजीब क़िस्से हैं….

वक़्त के अपने भी कैसे अजीब क़िस्से हैं…. मेरा कटता नहीं .. और उनके पास होता नहीं

उसका इंतजार और नींद

ये रात…..उसका इंतजार और नींद का बोझ, अगर मोहब्बत ना करता तो कब का सो गया होता मैं . .

तू मिल मुझे रात के रस्ते

तू मिल मुझे रात के रस्ते मै ख्वाबों कों सजाता हूँ…! तू मौसम ईश्कनुमा करदे मोहोब्बत को मैं लाता हूँ…!

गुंचे ने कहा कि

गुंचे ने कहा कि इस जहाँ में बाबा ये एक तबस्सुम भी किसे मिलता है|

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