जीने की कुछ

जीनेकी कुछ तो वजह होनी चाहिए…..वादे ना सही.. यादे तो होनी चाहिए…….!!

मत दिखाओ हमें

मत दिखाओ हमें, तुम ये मुहब्बत का बहीखाता , हिसाब-ए-इश्क़ रखना, हम दीवानों को नहीं आता ….

कितनी है कातिल ज़िंदगी

कितनी है कातिल ज़िंदगी की ये आरज़ू, मर जाते हैं किसी पे लोग जीने के लिये।

अक्ल बारीक हुई

अक्ल बारीक हुई जाती है, रूह तारीक हुई जाती है।

फासले इस कदर

फासले इस कदर आज है रिश्तों में, जैसे कोई क़र्ज़ चुका रहा हो किश्तों में

एक ही चौखट पे

एक ही चौखट पे सर झुके तो सुकून मिलता है भटक जाते है वो लोग जिनके हजारों खुदा होते है।

आँखों की दहलीज़ पे

आँखों की दहलीज़ पे आके सपना बोला आंसू से… घर तो आखिर घर होता है… तुम रह लो या मैं रह लूँ….

कोशिश तो बहुत

कोशिश तो बहुत करता है तू की भूल जाए उसे. मगर मुमकिन कहाँ है कि आग लगे और धुंवा ना हो..

आज तबियत कुछ

आज तबियत कुछ नासाज़ सी लग रही है लगता है किसी की दुआओ का असर हो रहा है|

अकड़ती जा रही हैं

अकड़ती जा रही हैं हर रोज गर्दन की नसें, आज तक नहीं आया हुनर सर झुकाने का ..

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