फूलों को सजाकर

जुल्फों में फूलों को सजाकर आई है चेहरे से दुपट्टा उठा कर आइ है किसी ने पूछा आज बहुत खूबसूरत लग रही हो तो मैंने कहा शायद आप नहा कर आई है|

इतनी चाहत से न देखा

इतनी चाहत से न देखा कीजिए महफ़िल में आप, शहर वालों से हमारी दुशमनी बढ़ जायेगी..

तौबा ईश्क से

हम नहीं करते तौबा ईश्क से,ईश्क तो हमारा पेशा है!! वो ईश्क ही क्या जिसमें यार बेवफा ना हो!!

बेवफा लोगो को

बेवफा लोगो को हमसे बेहतर कोन जानेगा , हम तो जले हुवे कागजों से भी अल्फाज़ पढ़ लिया करते है|

आँखों की हिरासत में

हजारों अश्क़ मेरी आँखों की हिरासत में थे… फिर तेरी याद आई और इन्हें जमानत मिल गई…!!

मुझ पे एतबार

मोसम की तरह बदलते हें उस के वादे उपर से ये ज़िद कि तुम मुझ पे एतबार करो!!

घट जाते हैं दाम अक़सर

अगर बिकने पे आ जाओ तो… घट जाते हैं दाम अक़सर, न बिकने का इरादा हो… तो क़ीमत और बढ़ती है|

गुफ्तगू करते रहिये ये

गुफ्तगू करते रहिये ये इंसानी फितरत है। जाले लग जाते है जब मकान बंद रहते है !

हम पर इल्ज़ाम

हर बार हम पर इल्ज़ाम लगा देते हो मोहब्बत का, कभी खुद से भी पूछा है इतने हसीन क्यों हो।

ज़ुल्फ तेरी है

ज़ुल्फ तेरी है मौज जमना की तिल नज़िक उसके ज्यूँ सनासी है

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