ये शरारत भरा लहजा तो आदत है मेरी . . . तू हर बात पे यूँ आँखे लाल ना किया कर . . . ।
Tag: व्यंग्य
उसे पाने की कोई
उसे पाने की कोई आरज़ू ना रही अब, पर खो जाने का डर बहुत सताता है।
हालात हैं वक़्त है
हालात हैं वक़्त है या फिर ख़ुदा,,, ये रह रह के मुझे परखता है कौन…
दिल के बाहर भी
दिल के बाहर भी कुछ समंदर हैं, थोड़े कम दर्द जिनके अन्दर हैं…!
रात ख़्वाब में
रात ख़्वाब में, मैंने अपनी मौत देखी थी.. इतने रोने वालों में तुम नज़र नहीं आए…
मुझसे मोहब्बत पर
मुझसे मोहब्बत पर मशवरा मांगते हैं लोग… उसका इश्क़ कुछ इस तरह तजुर्बा दे गया मुझे…
कैसे बयान करुं
कैसे बयान करुं सादगी मेरे महबूब की, पर्दा हमी से था मगर नजर हम पर ही थी…
मोहब्बत ही तो है..
उसकी मोहब्बत ही तो है… जो मेरी जिंदगी को खूबसुरत बनाती है…
कुछ उनकी मजबूरियाँ…
कुछ उनकी मजबूरियाँ…कुछ मेरी कश्मकश, बस यूँ ही एक ख़ूबसूरत कहानी को…खत्म कर दिया हमने…
ये जो मेरे हालात हैं
ये जो मेरे हालात हैं एक दिन सुधर जायेंगे मगर तब तक कई लोग मेरे दिल से उतर जायेंगे