लोग कहते हैं

लोग कहते हैं कि समझो तो खामोशियां भी बोलती हैं, मैं अरसे से खामोश हूं और वो बरसों से बेखबर….

खामोश रहने दो

खामोश रहने दो लफ़्ज़ों को, आँखों को बयाँ करने दो हकीकत, अश्क जब निकलेंगे झील के, मुक़द्दर से जल जायेंगे अफसाने..

मैं मुसाफ़िर हूँ

मैं मुसाफ़िर हूँ ख़तायें भी हुई होंगी मुझसे, तुम तराज़ू में मग़र मेरे पाँव के छाले रखना..

परिन्दों की फिदरत से

परिन्दों की फिदरत से आये थे वो मेरे दिल में , जरा पंख निकल आये तो आशियाना छोड़ दिया ..

वो जब अपने हाथो की

वो जब अपने हाथो की लकीरों में मेरा नाम ढूंढ कर थक गये, सर झुकाकर बोले, लकीरें झूठ बोलती है तुम सिर्फ मेरे हो..

कल बड़ा शोर था

कल बड़ा शोर था मयखाने में, बहस छिड़ी थी जाम कौन सा बेहतरीन है, हमने तेरे होठों का ज़िक्र किया, और बहस खतम हुयी..

तलब नहीं कोई

तलब नहीं कोई हमारे लिए तड़पे , नफरत भी हो तो कहे आगे बढ़के.!

अजब ये मुल्क़ है

अजब ये मुल्क़ है ऐसा हम जहाँ पे रहते हैं, इश्क़ छुपके यहाँ, नफ़रत खुलेआम होती है…!!

जिसे शिद्दत से

जिसे शिद्दत से चाहो वो मुद्दत से मिलता है, बस मुद्दतों से ही नहीं मिला कोई शिद्दत से चाहने वाला!

ज़िन्दगी के मायने तो

ज़िन्दगी के मायने तो याद तुमको रह जायेंगे , अपनी कामयाबी में कुछ कमी भी रहने दो..

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