कुछ साँपों का काटा

कुछ साँपों का काटा नहीं मांगता पानी रिश्तों को पहनना ज़रा अस्तीन झटककर …..

तेरी सूरत को

तेरी सूरत को जब से देखा है मेरी आँखों पे लोग मरते हैं…

सोचा था छुपा लेंगे

सोचा था छुपा लेंगे अपना ग़म… पर ये कम्बख़त “आँखे” ही दगा कर गयीं…

वक़्त ही कुछ

वक़्त ही कुछ ऐसा आ ठहरा है अब… यादें ही नहीं होतीं याद करने के लिए…

कोई बताये की

कोई बताये की मैं इसका क्या इलाज करूँ परेशां करता है ये दिल धड़क-धड़क के मुझे……….

तेरे बगैर भी

तेरे बगैर भी कहती है मुझे जीने को ये जिदंगी भी सही मशविरा नही देती।

पता नहीं क्यूँ

पता नहीं क्यूँ कभी कभी लगता है, बचपन के दिन सिर्फ पचपन ही थे !!

जिंदगी मे बस

जिंदगी मे बस एक बात याद रखना, कोई भी बात याद कर-करके परेशान न होना !!

जिंदगी जीने के लिए

जिंदगी जीने के लिए मिली थी, लोगों ने सोचने में गुजार दी !!

यूँ ही नहीं होती

यूँ ही नहीं होती, जनाज़ों में भीड़ साहब…!! हर शख्स अच्छा है, बस दुनिया से चले जाने के बाद…!!

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