वो अनजान चला है

वो अनजान चला है, जन्नत को पाऩे के खातिर, बेखबर को इत्तला कर दो कि माँ-बाप घर पर ही है..

देख कर उसको

देख कर उसको तेरा यूँ पलट जाना,….. नफरत बता रही है तूने मोहब्बत गज़ब की थी.

सूखे पत्तो की तरह

सूखे पत्तो की तरह बिखरा हुआ था मै,, किसी ने बड़े प्यार से समेटा, और फिर आग लगा दी..!

तुमने कहा भुल जाओ

तुमने कहा भुल जाओ मुझे… हम पुछते है कोन हो तुम…

सुनो.. ना किया करो

सुनो.. ना किया करो इतनी मोहब्बत हमसे.. कि मुझे खुद की फ़िक्र करने की आदत पड़ जाये..

गलतफहमियों के सिलसिले

गलतफहमियों के सिलसिले आज इतने दिलचस्प हैं, कि हर ईंट सोचती है, दीवार मुझ पर टिकी है….

हार जाउँगा मुकदमा

हार जाउँगा मुकदमा उस अदालत में, ये मुझे यकीन था,जहाँ वक्त बन बैठा जज और नसीब मेरा वकील था….!!!

इश्क़ तो बस नाम दिया है

इश्क़ तो बस नाम दिया है दुनिया ने, एहसास बयां कोई कर पाये तो बात हो .

ज़माना फूल बिछाता था

ज़माना फूल बिछाता था मेरी राहों में जो वक़्त बदला तो पत्थर है ,अब उठाए हुए

लफ्ज तेरे मिठे ही

लफ्ज तेरे मिठे ही लगते है.. आंख पढु तब दर्द समझ आता है..

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