जो गीत तुमने सुना नहीं

वो जो गीत तुमने सुना नहीं , मेरे उम्र भर का रियाज़ था ..

मैं अगर खत्म भी

मैं अगर खत्म भी हो जाऊँ इस साल की तरह… तुम मेरे बाद भी संवरते रहना नए साल की तरह…

उस टूटे झोपड़े में

उस टूटे झोपड़े में बरसा है झुम के भेजा ये कैसा मेरे खुदा सिहाब जोड़ के

दुआएं इकट्ठी करने मे

दुआएं इकट्ठी करने मे लगा हूं, सुना है दौलत शौहरत साथ नही जाती…

तेरे ही ख्याल पर

तेरे ही ख्याल पर खत्म हो गया ये साल.. तेरी ही ख्वाहिश से शुरू, हुआ नया साल….

यूँ उतरेगी न गले से

यूँ उतरेगी न गले से ज़रा पानी तो ला, चखने में कोई मरी हुई कहानी तो ला!

मेरी बस्ती में

मेरी बस्ती में मज़हब नाम का इक रहता है बूढ़ा, जो मेरे दोस्तों को मेरे घर आने नहीं देता |

हादसोँ के गवाह हम भी हैँ

हादसोँ के गवाह हम भी हैँ, अपने दिल से तबाह हम भी हैँ, जुर्म के बिना सजा ए मौत मिली, ऐसे ही एक बेगुनाह हम भी हैँ..

साँस थम जाती है

साँस थम जाती है पर जान नहीं जाती; दर्द होता है पर आवाज़ नहीं आती; अजीब लोग हैं इस ज़माने में ऐ दोस्त; कोई भूल नहीं पाता और किसी को याद नहीं आती।

मेरे किरदार में

जहाँ जहाँ लिखी मेरे किरदार में ज़िल्लतें… वहीँ वहीँ लिए फिरती है ये तक़दीर मुझे ।

Exit mobile version