थोड़ी सी नींद

थोड़ी सी नींद दे जरा… तेरे इश्क़ मैं हुँ कोई क़त्ल ऐ आम नही किया|

दिल खामोश है

दिल खामोश है मगर होंठ हँसा करते हैं बस्ती वीरान है मगर लोग बसा करते हैं नशा मयकदों में अब कँहा है यारों.. लोग अब मय का नहीं. मैं का नशा करते हैं…….

क्यों न मर जाऊँ

क्यों न मर जाऊँ तेरे इश्क मे सुना है सरकार मरने पर एक करोड़ देगी!!

हमें तो कब से

हमें तो कब से पता था के तू बेवफा है ऐ बेखबर तुझे चाहा ही इस लिए की शायद तेरी फितरत बदल जाये…!!

कत्ल कर के

कत्ल कर के तो सब ले जाएंगे दिल मेरा , कोई बातों से ले जाए तो क्या बात है|

इलाज़ ना ढूंढ

इलाज़ ना ढूंढ इश्क़ का वो होगा ही नहीं… इलाज़ मर्ज़ का होता है इबादत का नहीं|

हार जाउँगा मुकदमा

हार जाउँगा मुकदमा उस अदालत में, ये मुझे यकीन था.. जहाँ वक्त बन बैठा जज और नसीब मेरा वकील था…

मेरी खमोशियो के राज़

मेरी खमोशियो के राज़ ख़ुद मुझे ही नहीं मालूम… जाने क्यू लोग मुझे मगरूर समझते है…

तीन गवाह है

तीन गवाह है मेरे इश्क़ के, एक रब एक मैं और एक तुम|

बेइंतेहा प्यार करते है

बेइंतेहा प्यार करते है हम आप से, पर इज़हार ना करेंगे कभी|

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