फ़रियाद कर रही

फ़रियाद कर रही हैं तरसी हुई निगाहें… देखे हुऐ किसी को जमाना हो गया…!!!

वो आंख बड़ी ही प्यारी थी

वो आंख बड़ी ही प्यारी थी जो उसने हमें मारी थी. . . . . . हम तो मुफ्त में ही लूट गए यारों हमें कहां पता था कि उनको  आखों की  बीमारी थी !!

उसने मेरी महोब्बत का

उसने मेरी महोब्बत का, इस तरह तमाशा किया. कि हम मरते है उनके प्यार मे, और वो हसते रहे मेरी दीवानगी पर.

महसूस जब हुआ कि

महसूस जब हुआ कि सारा शहर, मुझसे जलने लगा है, तब समझ आ गया कि अपना नाम भी, चलने लगा है |

ज़िंदगी में आईना

ज़िंदगी में आईना जब भी उठाया करो.. “पहले देखो ” फिर “दिखाया करो ……..

वो लोग भी चलते है

वो लोग भी चलते है आजकल तेवर बदलकर … जिन्हे हमने ही सिखाया था चलना संभल कर…!

घमण्ड से भी अक्सर

घमण्ड से भी अक्सर खत्म हो जाते हैं कुछ रिश्ते.. कसूर हर बार गलतियों का नहीं होता..

तुम भूल जाने में मुझे

लगे हो ना तुम भूल जाने में मुझे ! एक मासूम सी दुआ है नाकाम रहो तुम…!

वक़्त की रफ़्तार रुक गई

वक़्त की रफ़्तार रुक गई होती; शर्म से आँखे झुक गई होती; अगर दर्द जानती शमा परवाने का; तो जलने से पहले बुझ गई होती।

मुझे भी पता था

मुझे भी पता था की लोग बदल जाते है मगर, मैंने कभी तुम्हे उन लोगों में गिना ही नहीं था…

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