मेरे बस में

मेरे बस में हो तो लहरों को इतना भी हक न दूं, लिखूं नाम तेरा किनारे पर लहरों को छुने तक ना दूं।

घूम जाने के बिच में

धीरे से इतराना और तेज़ घूम जाने के बिच में, एक लम्हा तुम्हारी आगोश में कँही खो गया है।

मुजे ऊंचाइयों पर देखकर

मुजे ऊंचाइयों पर देखकर हैरान है बहुत लोग, पर किसी ने मेरे पैरो के छाले नहीं देखे..

जिस नजाकत से…

जिस नजाकत से… ये लहरें मेरे पैरों को छूती हैं.. यकीन नहीं होता… इन्होने कभी कश्तियाँ डुबोई होंगी…

जुदाइयाँ तो मुक़द्दर हैं

जुदाइयाँ तो मुक़द्दर हैं फिर भी जान-ए-सफ़र, कुछ और दूर ज़रा साथ चल के देखते हैं।

चल ना यार हम

चल ना यार हम फिर से मिट्टी से खेलते हैं हमारी उम्र क्या थी जो मोहब्बत से खेल बैठे|

इस दौर ए तरक्की में..

इस दौर ए तरक्की में…जिक्र ए मुहब्बत. यकीनन आप पागल हैं…संभालिये खुद को

हँसते हुए चेहरों को

हँसते हुए चेहरों को ग़मों से आजाद ना समझो, मुस्कुराहट की पनाहों में हजारों दर्द होते हैं!

देखेंगे अब जिंदगी

देखेंगे अब जिंदगी चित होगी या पट, हम किस्मत का सिक्का उछाल बैठे हैं।

अब इस से बढ़कर

अब इस से बढ़कर क्या हो विरासत फ़कीर की.. बच्चे को अपनी भीख का कटोरा तो दे गया..

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