हम अपने उसूलों से, डगमगाये तो थे ज़रूर; पर आप भी मुस्करा कर, पलटे तो थे हुज़ूर!
Category: Urdu Shayri
देखा है क़यामत को
देखा है क़यामत को,मैंने जमीं पे नज़रें भी हैं हमीं पे,परदा भी हमीं से|
कुछ कहने के लिए ….
कुछ कहने के लिए ….. बोलने की क्या जरुरत हे !!!!
हसरतें थीं जीने वाली
हसरतें थीं जीने वाली, जी गईं; मरने वाला था दिल अपना, मर गया!
जब भी मिलते हो
जब भी मिलते हो , रूठ जाते हो , यानी रिश्तों में , जान बाक़ी है |
वो एक ख़त
वो एक ख़त जो तूने कभी मुझे लिखा ही नहीं…? देख मै हर रोज़ बैठ कर उसका जवाब लिखता हूँ….
हम भी मुस्कराते थे
हम भी मुस्कराते थे कभी बेपरवाह अंदाज से , देखा है आज खुद को कुछ पुरानी तस्वीरों में..!!
शायरों की बस्ती में
शायरों की बस्ती में कदम रखा तो जाना । गमों की महफिल भी कितने खुशी से जमती है ।।
आज फिर रात
आज फिर रात बड़ी नम सी है आज तुम याद फिर बहुत आए|
तेरी तरफ जो
तेरी तरफ जो नजर उठी वो तापिशे हुस्न से जल गयी तुझे देख सकता नहीं कोई तेरा हुस्न खुद ही नकाब हैं|