शाम हो जाती है

एक सवेरा था जब हँस कर उठते थे हम और आज कई बार बिना मुस्कुराये ही शाम हो जाती है !

मुझे प्यार उसी से

ए खुदा..!! मुझे प्यार उसी से हो जो…. मुझे पाकर प्यार में पागल हो जाए….!!

अब बंद कर दिया है

अब बंद कर दिया है जज़्बाते-बयां हमने भी… क्योंकि झूंठ हमसे बोला नही और सच वो समझते नही….

ज़िक्र किया करती है

कुछ इस तरह वो मेरी बातों का ज़िक्र किया करती है…. सुना है वो आज भी मेरी फिक्र किया करती है….!

तुमने देखा ही कहाँ

तुम ना लगा पाओगे अंदाजा मेरी तबाही का…, तुमने देखा ही कहाँ है…मुझे शाम होने के बाद…।

एक बार महबूब

सालो साल बातचीत से उतना सुकून नही मिलता, जितना एक बार महबूब के गले लग कर मिलता है….!!

आँख प्यासी है

आँख प्यासी है कोई मन्ज़र दे, इस जज़ीरे को भी समन्दर दे| अपना चेहरा तलाश करना है, गर नहीं आइना तो पत्थर दे|

इश्क़ वो नहीं

इश्क़ वो नहीं जो तुझे मेरा कर दे…. इश्क़ वो है जो तुझे किसी और का ना होने दे !!

सच्चे इश्क में

सच्चे इश्क में अल्फाज़ से ज्यादा एहसास की एहमियत होती है।

ज़ख़्मों के बावजूद

ज़ख़्मों के बावजूद मेरा हौसला तो देख…. तू हँसी तो मैं भी तेरे साथ हँस दिया….!!

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