मस्जिद की मीनारें बोलीं

मस्जिद की मीनारें बोलीं, मंदिर के कंगूरों से . संभव हो तो देश बचा लो मज़हब के लंगूरों से

अच्छी होती है

शोहरत अच्छी होती है, गुरूर अच्छा नहीं होता.. अपनों से बेरुखी सेे पेश आना, हुज़ूर अच्छा नहीं होता !!

प्यार का अंदाज़

खुबसूरत हो लेकिन प्यार का अंदाज़ नहीं…. यही कमी हैं तुझमें के तेरा कोई हमराज नहीं

मैं दिया हूँ

मैं दिया हूँ …. दुश्मनी तो सिर्फ़ अँधेरे से है मेरी …. हवा तो बेवजह ही मेरे खिलाफ़ है …!!

इश्क में सिक्का

इश्क में सिक्का,, जब भी उछाला.. जीत मेरी ही हुई इस तरफ …आप …”ख्वाब” से थे उस तरफ.. ख्वाब . .”आप” से थे.!

चाहने की आदत

बहुत कुछ बदला हैं मैने अपने आप में, लेकिन, तुम्हें वो टूट कर चाहने की आदत अब तक नहीं बदली..

मुक़द्दर की बात है

मेरी तबाहियों में तेरा हाथ है मगर… मैं सबसे कह रहा हूँ मुक़द्दर की बात है..

बदल रहे हैं

चर्चा है नुक्कड़ ,गली,अखबारो में..! वो खुद को बदल रहे हैं इश्तिहारों में…!!

दो चार नही

दो चार नही मुझे बस एक ही दिखा दो, वो शख्स जो अंदर से भी बाहर जैसा हो…….

लफ्ज़ जब सारे

मुक्कमल सी लगती है . मेरी शायरी, लफ्ज़ जब सारे मेरे होते हैं, . और ज़िक्र तेरा…!!

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