इस अजनबी शहर में ये पत्थर कहाँ से आया फराज़ लोगों की इस भीड़ में कोई अपना जरूर है
Category: Urdu Shayri
बहुत ही सादा हू
बहुत ही सादा हू मैं और ज़माना अय्यार.. खुदा करे कि मुझे शहर की हवा न लगे….
बता देती है
नजरें सब बता देती है नफ़रतें भी, हसरतें भी
हर रोज कयामत
तेरे बगैर जीने का तजुर्बा भी हसीन होगा….हर रोज मरूंगा मैं, हर रोज कयामत होगी…..
गुफ़्तगू नहीं करते
लफ़्ज़ जब तक वज़ू नहीं करते हम तेरी गुफ़्तगू नहीं करते तू मिला है ऐसे लोगो को जो तेरी आरज़ू नहीं करते
didar karte hain
Agr Labo se baat ho gaur mat karna Kyunki yehi lab kise Aur se didar karte hain
सिर्फ चेहरा ही नहीं
सिर्फ चेहरा ही नहीं शख्सियत भी पहचानो , जिसमें दिखता हो वही आईना नहीं होता
दुआ कुबूल नहीं होती
किसी ने ग़ालिब से कहा सुना है जो शराब पीते हैं उनकी दुआ कुबूल नहीं होती …. ग़ालिब बोले: जिन्हें शराब मिल जाए उन्हें किसी दुआ की ज़रूरत नहीं होती
हर शख्स के पास
आग लगाने को कहो तो हर शख्स के पास माचिस है घर किसी का जले तो पानी की कमी हो जाती है।।
नींद के शौक़ीन
हम नींद के शौक़ीन ज्यादा तो नहीं लेकिन, तेरे ख्वाब न देखूं तो गुज़ारा नहीं होता..