लफ़्ज लफ़्ज जिसका

लफ़्ज लफ़्ज जिसका खुशनूमां बोलता हैं समझ लो वोह शख्स उर्दू जुबां बोलता है

बिन तुम्हारे कभी

बिन तुम्हारे कभी नही आयी क्या मेरी नींद भी तुम्हारी है

सुनो यही तो

सुनो यही तो प्यार होता है ना जब कोई जीने लगता हैं किसी और के जिस्म में रूह बनकर

वक्त की सीढ़ियों पे

वक्त की सीढ़ियों पे उम्र तेज चलती है जवां रहोगे कोई शौक पाल कर रक्खो

इश्क़ का खेल

इश्क़ का खेल जवानी के लिए होता है बूढ़े मुँह में मुँहासे नही होते !!

मैंने देखा है

मैंने देखा है मोहब्ब़त का हर मंजर.. मैं मुमताज़ नही .पर शाहजहाँ से वाकिफ हूँ.

हर आदमी में होते हैं

हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमी, जिसको भी देखना हो कईं बार देखना।

बड़ा मासूम जज़्बा है

बड़ा मासूम जज़्बा है सदाक़त हो अगर इसमें मुहब्बत को जहाँ भी हो मुहब्बत ढूंढ लेती है

बदन के घाव दिखा कर

बदन के घाव दिखा कर जो अपना पेट भरता है, सुना है, वो भिखारी जख्म भर जाने से डरता है!

हमने मोह्हबत के नशे में

हमने मोह्हबत के नशे में उसे ख़ुदा बना डाला , और होश तो जब आया जब उसने कहा , ख़ुदा किसी एक का नहीं होता।।

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