फितरत कसी की

फितरत कसी की यूँ ना आजमाया कर ए जिंदगी, हर शख्स अपनी हद में लाजवाब होता है।

बहुत चाहा उसको

बहुत चाहा उसको जिसे हम पा न सके, ख्यालों में किसी और को ला न सके. उसको देख के आंसू तो पोंछ लिए, लेकिन किसी और को देख के मुस्कुरा न सके.

मिठास रिश्तों कि

मिठास रिश्तों कि बढ़ाये तो कोई बात बने, मिठाईयाँ तो हर साल मीठी ही बनती है..!!

ये जो हलकी सी

ये जो हलकी सी फ़िक्र करते हो न हमारी , बस इसलिए हम बेफिक्र रहने लगे हैं…

तुझको सोचा तो

तुझको सोचा तो हर सोच में खुशबू उतरी, तुझको लिखा तो हर लफ्ज़ को महकते देखा..!

घर से निकलते वक्त

रोज… घर से निकलते वक्त, मसला बड़ा हो जाता है … कौन-सा… चेहरा पहन कर निकलें, ये सवाल खड़ा हो जाता है …

मुश्किलों के सदा हल दें

ऐ ज़िंदगी….! मुश्किलों के सदा हल दें थक न सके हम ..! फुर्सत के कुछ पल दे …! दुआ है दिल से सबको सुखद आज और बेहतर कल दे…

ये जो हलकी सी

ये जो हलकी सी फ़िक्र करते हो न हमारी , बस इसलिए हम बेफिक्र रहने लगे हैं…

कैसे छोड दूं

कैसे छोड दूं आखिर तुझसे मोहब्बत करना… . तू मेरी किस्मत में ना सही.. दिल में तो है..!!!

तुम्हीं पे मरता है

तुम्हीं पे मरता है ये दिल, अदावत क्यों नहीं करता कई जन्मों से बंदी है, बग़ावत क्यों नहीं करता कभी तुमसे थी जो, वो ही शिक़ायत है ज़माने से मेरी तारीफ़ करता है, मुहब्बत क्यों नहीं करता…

Exit mobile version