उसकी मोहब्बत के क़र्ज़ का अब कैसे हिसाब हो गले लगा कर कहती आप बड़े खराब हो।।
Category: Sad Bewafa Shayri
कहानियाँ लिखने लगा हूँ
कहानियाँ लिखने लगा हूँ मैँ अब शायरियों मेँ अब तुम समाते नहीँ
अभी मौजूद है
अभी मौजूद है इस गाँव की मिट्टी में खुद्दारी अभी बेवा की गैरत से महाजन हार जाता है
चंद जुमले बनकर
चंद जुमले बनकर…काग़ज पर बिखर जाता हूँ मैं… जिस नज़र से देखिये…वैसा ही नजर आता हूँ मैं..!
वक्त ज़ालिम है
हम ना कहते थे वक्त ज़ालिम है,देखलो ! ख़्वाब हो गए तुम भी
चले तो पाँव के नीचे
चले तो पाँव के नीचे कुचल गई कोई शय, नशे की झोंक में देखा नहीं कि दुनिया है।।
दफ़न कर देता
दफ़न कर देता मैं भी दिल की ख्वाहिशों को,.. काश ख्वाबो का भी कोई कब्रिस्तान होता…
धुंध हो जाते हैं
धुंध हो जाते हैं कई सपने, नींदों के अलाव जहाँ जलते हैं..
मैं इंसानियत में बसता हूँ
मैं इंसानियत में बसता हूँ और, लोग मुझे मज़हबो में ढूँढते है !!
चांदनी के भरोसें
रातों को चांदनी के भरोसें ना छोड़ना, सूरज ने जुगनुओं को ख़बरदार कर दिया… रुक रुक के लोग देख रहे है मेरी तरफ, तुमने ज़रा सी बात को अखबार कर दिया…