तुम ही तुम दिखते हो

तुम ही तुम दिखते हो हमें कुछ हुआ तो जरूर है, ये आइनें की भूल है या मस्त निगाहों का कसूर है !!

इतने चेहरे थे

इतने चेहरे थे उसके चेहरे पर, आईना तंग आ के टूट गया|

मैं शिकायत क्यों करूँ

मैं शिकायत क्यों करूँ, ये तो क़िस्मत की बात है..!! तेरी सोच में भी मैं नहीं, मुझे लफ्ज़ लफ्ज़ तू याद हैं…

बहुत दिन हुए तुमने

बहुत दिन हुए तुमने, बदली नहीं तस्वीर अपनी! मैंने तो सुना था, चाँद रोज़ बदलता हैं चेहरा अपना!!

कैसे सबूत दूँ

कैसे सबूत दूँ तुझे मेरी मोहब्बत का…?? फूलों की महक देखनी हो….. तो जज़्बात की निग़ाह चाहिये….!!

एक रूह है..

एक रूह है.. जैसे जाग रही है.. एक उम्र से… । एक जिस्म है.. सो जाता है बिस्तर पर.. चादर की तरह… ।।

मजबूर ना करेंगे

मजबूर ना करेंगे तुझे, वादेनिभाने के लिए…. .. .. तू एक बार वापस आ,अपनीयादें ले जाने के लिए….!

ज़िंदगी ये चाहती है

ज़िंदगी ये चाहती है कि…… .. .ख़ुदकुशी कर लूँ …. … मैं इस इंतज़ार में हूँ कि… कोई हादसा हो जाये

मेरा खुदा एक ही है…

मेरा खुदा एक ही है…. जिसकी बंदगी से मुझे सकून मिला भटक गया था मै…. जो हर चौखट पर सर झुकाने लगा..

जरा शिद्दत से

जरा शिद्दत से चाहो तभी आरजु पुरी होगी, हम वो नहीँ जो तुम्हेँ ख़ेरात मेँ मिल जाए..

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