सुबह तक मैं

सुबह तक मैं सोचता हूँ शाम से जी रहा है कौन मेरे नाम से |

उसकी मुहब्बत का

उसकी मुहब्बत का सिलसिला भी क्या अजीब है, अपना भी नहीं बनाती और किसी का होने भी नहीं देती….!!

तेज़ रफ़्तार हुआ है

तेज़ रफ़्तार हुआ है, ज़माना इतना के.. लोग मर जाते है, जीने का हुनर आने तक|

अभी तो मेरी ज़रुरत है

अभी तो मेरी ज़रुरत है मेरे बच्चों को बड़े हुए तो ये ख़ुद इन्तिज़ाम कर लेंगे इसी ख़याल से हमने ये पेड़ बोया है हमारे साथ परिंदे क़याम कर लेंगे|

मैं मतलब का

मैं मतलब का मतलब भी नही जानता… वो मतलब से मतलब रखती है…

कुछ लुत्फ़ आ रहा है

कुछ लुत्फ़ आ रहा है– मुझे दर्दे–इश्क में, जो गम दिया है तूने वो राहत से कम नहीं |

रेत पर ला के

रेत पर ला के मछलियाँ रख दो… तुम बीन मैं कैसा हुँ जान जाओगे..!!!

मौसम देख रही हो

मौसम देख रही हो, ये चाहता है के फिरसे तुमसे इश्क हो ….

अर्ज़ ओ समा कहाँ

अर्ज़ ओ समा कहाँ तिरी वुसअत को पा सके मेरा ही दिल है वो कि जहाँ तू समा सके|

दिल गवारा नहीं

दिल गवारा नहीं करता है शिकस्त-ए-उम्मीद हर तग़ाफ़ुल पे नवाज़िश का गुमाँ होता है |

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