टूट कर भी

टूट कर भी कम्बख्त धड़कता रहता है… मैने इस दुनिया मैं दिल सा कोई वफादार नहीं देखा..

बड़ी अजीब सी

बड़ी अजीब सी मोहब्बत थी तुम्हारी,,,,,पहले पागल किया,,,,,,, फिर पागल कहा…फिर पागल समझ कर छोड़ दिया….

वो भी शायद रो पड़े

वो भी शायद रो पड़े खाली कागज देख कर मैंने उसको आखरी खत में लिखा कुछ भी नही

उसने हमसे पुछा…

उसने हमसे पुछा…रह लोगे मेरे बिना..? साँस रुक गयी…. और उन्हें लगा कि…. हम सोच रहें हैं|

मैंने तो माँगा था

मैंने तो माँगा था थोड़ा सा उजाला अपनी जिंदगी में , वाह रे चाहने वाले तूने तो आग ही लगा दी जिंदगी में !!

न वफा का जिक्र

न वफा का जिक्र होगा न वफा की बात होगी अब मोहब्बत जिससे भी होगी.. रुपये ठिकाने लगाने के बाद होगी..

ये लफ़्ज़ों की शरारत है

ये लफ़्ज़ों की शरारत है, ज़रा संभाल कर लिखना तुम; मोहब्बत लफ्ज़ है लेकिन ये अक्सर हो भी जाती है।

उसके रूठने की

उसके रूठने की अदायें भी, क्या गज़ब की है, बात-बात पर ये कहना, सोंच लो .. फ़िर मैं बात नही करूंगी।

अजीब सी उलझन

अजीब सी उलझन भरी है इश्क की राहें । बेचारा आशिक कितना सम्भल के चले ।

बड़े हादसे होने लगे

बड़े हादसे होने लगे आज मेरे भी शहर में, कोई दिल चुरा ले गया और पता न चला|

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