ऐसी भी क्या

ऐसी भी क्या वफ़ा की कहानी थी रो पड़े कुछ सिलसिले चले थे मगर रात हो गई|

मेरी यही आदत

मेरी यही आदत तुम सब को सदा याद रहेगी.. न शिकवा, न कोई गिला, जब भी मिला, मुस्कुरा के मिला

जानता था की

जानता था की वो धोखा देगी एक दिन पर चुप रहा.. . क्यूंकि उसके धोखे में जी सकता हूँ पर उसके बिना नहीं…

मौजूद थी उदासी

मौजूद थी उदासी अभी पिछली रात की, बहला ही रहे थे दिल को, के फिर रात हो गयी|

दो चार नहीं

दो चार नहीं मुझे सिर्फ एक ही दिखा दो साहब, वो शख्स जो अन्दर से भी बाहर की तरह दिखता हो |

मैने कब कहा

मैने कब कहा किसी को कि याद रखे हर कोई मुझको मगर मुझे भूला पाना मुमकिन है बस मेरी ही शर्तो पर ……

नशीली आँखों का

नशीली आँखों का सागर है,बच ना पायेगा, कितना भी बड़ा तैराक हो डूब ही जाएगा…

लगा कर इश्क की बाजी

लगा कर इश्क की बाजी सुना है तुम दिल दे बैठी हो, मोहब्बत मार डालेगी अभी तो तुम फूल जैसी हो…

फ़िक्र तो तेरी

फ़िक्र तो तेरी आज भी करते है… बस जिक्र करने का हक नही रहा…

मेरा ज़मीर भी

मेरा ज़मीर भी क्या खूब मेरे काम आया… जब ज़रूरत पड़ी थोड़ा थोड़ा बेच खाया…

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