कितने चालाक है कुछ मेरे अपने भी … उन्होंने तोहफे में घड़ी तो दी … मगर कभी वक़्त नही दिया…!!!
Category: Mosam Shayri
कागज़ कलम मैं
कागज़ कलम मैं तकिये के पास रखता हूँ, दिन में वक्त नहीं मिलता,मैं तुम्हें नींद में लिखता हूँ..
हम उसके बिन हो गये है
हम उसके बिन हो गये है सुनसान से, जैसे अर्थी उठ गयी हो किसी मकान से !!
तुम रूक के नहीं
तुम रूक के नहीं मिलते हम झुक के नहीं मिलते मालूम ये होता है कुछ तुम भी हो कुछ हम भी|
मिट्टी का बना हूँ
मिट्टी का बना हूँ महक उठूंगा… बस तू एक बार बेइँतहा ‘बरस’ के तो देख……
जीत कर मुस्कुराए तो
जीत कर मुस्कुराए तो क्या मुस्कुराए हारकर मुस्कुराए तो जिंदगी है….
सौदेबाजी का हुनर
सौदेबाजी का हुनर कोई उनसे सीखे, गालों का तिल दिखाकर सीने का दिल ले गये !
गिरा दे जितना पानी
गिरा दे जितना पानी तेरे पास है बादल.. कयामत तक ये प्यास नही बुझने वाली ..
बच्चे ने तितली पकड़ कर
बच्चे ने तितली पकड़ कर छोड़ दी। आज मुझ को भी ख़ुदा अच्छा लगा।
बस आखरी बार
बस आखरी बार इस तरह मिल जाना, मुझ को रख लेना या मुझ में रह जाना !!