मुझ से पत्थर

मुझ से पत्थर ये कह कह के बचने लगे.. तुम ना संभलोगे ठोकरें खा कर ..

वहाँ तूफान भी

वहाँ तूफान भी हार जाते है… जहाँ कश्तियाँ ज़िद पे होती है |

कही होकर भी

कही होकर भी नहीं हूँ, कहीं न होकर भी हूँ। बड़ी कशमकश में हूँ कि कहाँ हूँ और कहाँ नहीं हूँ।

सारा लहू बदन का

सारा लहू बदन का, जमी पर गिरा दिया…! हम पर कर्ज था वतन का हमने चुका दिया भारत माता की जय

माफ हो गुस्ताखी

गुस्ताखी माफ हो गुस्ताखी , क्योंकि हम तुम्हे जिन्दगी कह नही पाते , हाँ मगर तुम वो अहसास हो आते , जैसे जिन्दगी तुम्हारे साथ साथ ही हो , या जिन्दगी का तुम ही आभास हो !

ये उड़ती ज़ुल्फें

ये उड़ती ज़ुल्फें,ये बिखरी मुस्कान, एक अदा से संभलूँ,तो दूसरी होश उड़ा देती है..!!

नज़दीक ही रहता है

नज़दीक ही रहता है वो पर मिलने नही आता.. पुछो तो मुस्करा के कहता है.. तुम से तो मुहोब्बत है.. तुम से क्या मिलना..

अब समझदार हो गए है

लोग अब समझदार हो गए है…. हैसियत देख कर साथ निभाते है।

मुद्दतों बात किसी ने

मुद्दतों बात किसी ने पूछा कहा रहते हो हमने मुस्कुरा के कहा अपनी औकात मे|

ना चाहते हुए भी

ना चाहते हुए भी साथ छोड़ना पड़ता हे, जिंदगी में कुछ मजबूरिया मोहब्बत से ज्यादा ताकतवर होती हे !!

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