कौन कहता है

कौन कहता है आईना झूठ नहीं बोलता… वह सिर्फ होठो की मुस्कान देखता है… दिल का दर्द नहीं…!!

तेरी नज़र पे

तेरी नज़र पे भी मुकदमा हो तेरी नज़र तो क़त्लेआम करे…

जिनके दिल पे

जिनके दिल पे लगती है चोट वो आँखों से नही रोते. जो अपनो के ना हुए, किसी के नही होते, मेरे हालातों ने मुझे ये सिखाया है, की सपने टूट जाते हैं पर पूरे नही होते….

काश ये दिल

काश ये दिल शीशे का होता.. कम से कम तोड़ने वाले के हाथ मे ज़ख़्म तो होता|

मरने का मज़ा

मरने का मज़ा तो तब है, जब कातिल भी जनाजे पे आकर रोये |

दिल से ज़्यादा

दिल से ज़्यादा महफूज़ जगह नहीं दुनिया में पर सबसे ज़्यादा लापता लोग यहीं से होते हैं !

मुकद्दर का लिखा

देखते है हम दोनों जुदा कैसे हो पायेंगे…तुम मुकद्दर का लिखा मानते हो…, हम दुआ को आजमायेंगे…!!!

बहुत दिनों से

बहुत दिनों से इन आँखों को यही समझा रहा हूँ मैं ये दुनिया है यहाँ तो इक तमाशा रोज़ होता है|

गहरी नींद का मंज़र

उनकी गहरी नींद का मंज़र भी कितना हसीन होता होगा.. तकिया कहीं.. ज़ुल्फ़ें कहीं.. और वो खुद कहीं…!!

दर्द बयां करना है

दर्द बयां करना है तो शायरी से कीजिये जनाब….. लोगों के पास वक़्त कहाँ एहसासों को सुनने का….

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