वो महफिल में नही

वो महफिल में नही खुलता है तन्हाई में खुलता है समंदर कितना गहरा है ये गहराई में खुलता है !!

उड़ा भी दो रंजिशें

उड़ा भी दो रंजिशें, इन हवाओं में यारो छोटी सी जिंदगी हे, नफ़रत कब तक करोगे !

आंच ना आये

आंच ना आये नाम पर तेरे,.. ख़ाक भले मेरा जीवन हो,.. अपने जहाँ मै आग लगा लें.. तेरा जहाँन जो रौशन हो..

तेरे शहर के कारीगर

तेरे शहर के कारीगर भी अजीब हैं ऐ दिल…. काँच की मरम्मत करते हैं , पत्थर के औजारों से..

समझ लेता हूँ

समझ लेता हूँ मीठे लफ्जों की कडवाहटें.. हो गया है अब जिंदगी का तजुर्बा थोडा बहुत..

तुम रुक ही जाओ

सुनो…तुम रुक ही जाओ ना मेरे पास, हमेशा के लिए; यूँ रोज़ आने-जाने में साहब, वक़्त बहुत लगता है !!

ये कहकर वापस कर दिया

दिल मेरा उसने ये कहकर वापस कर दिया… दुसरा दिजीए… ये तो टुटा हुआ है….!!

मेरी फितरत नही बदल सकते

हजार गम मेरी फितरत नही बदल सकते क्या करू मुझे आदत हे मुस्कुराने की ।

कितनी झूठी होती है

कितनी झूठी होती है मोहब्बत की कस्मे, देखो तुम भी ज़िंदा हो और में भी…..!!

अजब तमाशा है

अजब तमाशा है मिट्टी से बने लोगो का , बेवफाई करो तो रोते हे अगर वफा करो तो रुलाते हे !

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