ये इश्क तो

ये इश्क तो बस एक अफवाह है.. दुनिया में किसको किसकी परवाह है..

अजीब पैमाना है

अजीब पैमाना है यहाँ शायरी की परख का….. जिसका जितना दर्द बुरा, शायरी उतनी ही अच्छी….

लफ्ज लफ्ज जोड़कर

लफ्ज लफ्ज जोड़कर बात कर पाता हूं उसपे कहते हैं वो कि, मैं बात बनाता हूं….

क्यों बनाते हो

क्यों बनाते हो गजल मेरे अहसासों की मुझे आज भी जरुरत है तेरी सांसो की|

अब ये न पूछना

अब ये न पूछना कि ये अल्फ़ाज़ कहाँ से लाता हूँ… . कुछ चुराता हूँ दर्द दूसरों के कुछ अपनी सुनाता हूँ..!!

भुला दूंगा तुझे

भुला दूंगा तुझे ज़रा सब्र तो कर.. . तेरी तरह मतलबी बनने में थोड़ा वक़्त तो लगेगा

बरबाद कर देती है

बरबाद कर देती है मोहब्बत हर मोहब्बत करने वाले को क्यूकि इश्क़ हार नही मानता और दिल बात नही मानता..!!

तुम ही तुम दिखते हो

तुम ही तुम दिखते हो हमें कुछ हुआ तो जरूर है, ये आइनें की भूल है या मस्त निगाहों का कसूर है !!

इतने चेहरे थे

इतने चेहरे थे उसके चेहरे पर, आईना तंग आ के टूट गया|

वक़्त बदला तो

वक़्त बदला तो बदल गये वो लोग, जो महफ़िलो में सबसे अज़ीज़ आशना थे.!!

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