मैं अपने शब्दों की

मैं अपने शब्दों की बारात लाऊंगा,तुम अपनी ग़ज़ल को घूंघट में रखना|

तुम बात करते हो

तुम बात करते हो इंसानों की, अरे यहाँ अगरबत्तियों के भी मजहब होते है !!

जुबां वाले भी

जुबां वाले भी आखिर गूंगे बने हुए हैं, जिन्दा रहेंगे कब तक, मुर्दा जमीर लेकर।

जिंदगी की राह

उसके ख़याल उसके तसव्वुर का शुक्रिया …. कि जिंदगी की राह कुछ आसान हो गई !!

प्यार करने के लिए

प्यार करने के लिए, गीत सुनाने के लिए .. इक ख़ज़ाना है मेरे पास लुटाने के लिए ..

जंग हारी न थी

जंग हारी न थी अभी कि फ़राज़ कर गए दोस्त दरमियाँ से दूर रहना |

महफ़िल में उन्होंने

महफ़िल में उन्होंने नज़र क्या उठाई.. हमने उस पर मुकमल गज़ल सुनाई..

शिकायतों का रिवाज़

तुम शिकायतों का रिवाज़ खत्म कर दो… हम शिकायतों की वज़ह खत्म कर देते हैं..

हारने वालो का

हारने वालो का भी अपना रुतबा होता हैं … मलाल वो करे जो दौड़ में शामिल नही थे. …

मुझे मशहुर कर दिया

अहसान रहा इलज़ाम लगाने वालो का मुझ पर उठती ऊँगलियो ने जहाँ मे मुझे मशहुर कर दिया |

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