तेरे अलावा मुझे सिर्फ नींद से ही प्यार था। कमबख्त तेरे साथ रहने से वो भी अब बेवफाओ में शामिल हो गई…
Category: Hindi Shayri
ना जाने क्या
ना जाने क्या कहा डूबने वाले ने समंदर से … लहरे आज भी किनारे पर सर पटक रही है …
अच्छा है जो
अच्छा है जो परिन्दों का कोई मज़हब नही वर्ना आसमान की भी सरहदें होती..
दिल गिरा होता
काश न्युटन के सर मे पेड के सेब की जगह किसी का टूटा हूआ दिल गिरा होता…… तो आज Physics की हर किताबो मे एक chapter इश्क का होता………..
तेरे इख्तियार में
तेरे इख्तियार में क्या नहीं, मुझे इस तरह से नवाज दे यूं दुआयें मेरी कूबूल हों, मेरे दिल में कोई दुआ ना हो
उस बूढ़े शजर से
इस बार जो इन्धन के लिये कट के गिरा है चिड़ियों को बड़ा प्यार था उस बूढ़े शजर से
सुकुन मिलता है
सुकुन मिलता है दो लफ्ज कागज पर उतार कर चीख भी लेता हूं और आवाज भी नही होती..
भूल नही पाओगे मुझे..
उस दिन ही दिल से उतरगयी थी वो,जिस दिन घमंड से बोली,”भूल नही पाओगे मुझे”..!!
सफ़र मैंने किया
क्या बताऊं कैसे ख़ुद को दर-ब-दर मैंने किया, उम्र भर किस-किस के हिस्से का सफ़र मैंने किया ।
सलीका ही नहीं
सलीका ही नहीं शायद उसे महसूस करने का जो कहता है ख़ुदा है तो नज़र आना ज़रूरी है