कोई मुझसे पूछ बैठा “बदलाव किसे कहते हैं” मैं सोच मे पड गया किसकी मिसाल दूं, मौसम की या अपनो की।
Category: Hindi Shayri
हजारों में मुझे
हजारों में मुझे सिर्फ एक वो शख्स चाहिये जो मेरी गैर मौज़ूदगी में मेरी बुराई न सुन सके ।
एक रस्सी है
एक रस्सी है.. जिसका एक सिरा ख्वाहिशों ने पकड़ा है.. और दूसरा औकात ने… . . इसी खींचातानी का नाम जिंदगी है।
ज़ख्म भले ही
ज़ख्म भले ही अलग अलग हैं, लेकिन दर्द बराबर है । कोई फर्क़ नहीं पड़ता है, तुम सह लो या मैं सह लूँ ।
तेरे बसरने का
तेरे बसरने का आज मुझे मलाल है क्योंकि ये गरीब किसान की रोटी का सवाल है
हम दोनों का नाम
लोग आज भी हम दोनों का नाम साथ में लेते हे.. ना जाने ये “शोहरत” है या “बदनामी”
हथेलियों पर मेहँदी
हथेलियों पर मेहँदी का “ज़ोर” ना डालिये, दब के मर जाएँगी मेरे “नाम” कि लकीरें…
क्यूँ बदलते हो
क्यूँ बदलते हो अपनी फितरत को ए मौसम, इन्सानों सी। तुम तो रहते हो रब के पास फिर कैसे हवा लगी जमाने की।।।
ताल्लुकात खुद से
ताल्लुकात खुद से जब बढती जाती है कम होती जाती हैं शिकायतें दुनिया से…
अजब रंग समेटे हैं
कितने अजब रंग समेटे हैं ये बेमौसम बारिश ने. . . . नेता पकौड़े खाने की सोच रहा है तो किसान जहर