कैसा है ये इश्क

कैसा है ये इश्क और कैसा हैं ये प्यार ,जीते-जी जो मुझ से , तुम दूर जा रहे हो..

जिसे मौका नही मिला

कौन है इस जहान मे जिसे धोखा नही मिला, शायद वही है ईमानदार जिसे मौका नही मिला…

तुम से बेहतर

तुम से बेहतर तो तुम्हारी निगाहें थीं, कम से कम बातें तो किया करतीं थीं…

कहाँ खर्च करूँ

कहाँ खर्च करूँ , अपने दिल की दौलत… सब यहाँ भरी जेबों को सलाम करते हैं…

एहसास जब जुड़ते है

एहसास जब जुड़ते है तब भी महसूस होते है एहसास जब टूटते है तब रूह को चीर देते है”

जब से खुद से

जब से खुद से समझोता किया है मानों हर पल टूट रहा हूँ मैं..

क्षमा चाहते हैं

दुसरो को उतनी ही जल्दी क्षमा करो, जितनी जल्दी आप ऊपर वाले से अपने लिए क्षमा चाहते हैं।

लफ्ज ही इजहार

जरूरी नही की लफ्ज ही इजहार करे वो हमारी ख़ामोशी से भी तो प्यार करे”

फ़तेह कर लिया हो

क्या सिखा सकती है ज़िन्दगी उसे जिसने मौत को फ़तेह कर लिया हो…

दिलवालों का तमाशा

लफ्जों में भी कई बार लोग बेईमानी कर जातें हैं। दुनिया वाले हम दिलवालों का तमाशा बना देते हैं।।”

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