हमीं अकेले नहीं जागते हैं

हमीं अकेले नहीं जागते हैं रातों में… उसे भी नींद बड़ी मुश्किलों से आती है..

बंदगी न हो जाए!

अपनी ख़ू-ए-वफ़ा से डरता हूँ आशिक़ी बंदगी न हो जाए!

बिछड़ने का इरादा

बहुत नजदीक आ जाते हैं वो लोग, जो बिछड़ने का इरादा रखते है…!!.

बच्चे मेरे गली के

बच्चे मेरे गली के बहुत ही शरारती हैं, आज फिर तुम्हारा नाम मेरी दीवार पर लिख गये..

धड़कनें गूंजती हैं

धड़कनें गूंजती हैं सीने में इतने सुनसान हो गए हैं हम|

वो सुना रहे थे

वो सुना रहे थे अपनी वफाओ के किस्से। हम पर नज़र पड़ी तो खामोश हो गए|

कोई ऐसी सुबह

कोई ऐसी सुबह भी मिले मुझे, के मेरी आँख खुले तेरी आवाज से..

बस यही सोच कर

बस यही सोच कर हर मुश्किलों से लड़ता आया हूँ…! धूप कितनी भी तेज़ हो समन्दर नहीं सूखा करते…।।

एक मुद्दत से

एक मुद्दत से तुम निगाहों में समाए हो…! एक मुद्दत से हम होंश में नहीं हैं ..!!

मुड़कर नहीं देखता

मुड़कर नहीं देखता अलविदा के बाद , कई मुलाकातें बस इसी गुरुर ने खो दी।

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