बस यूँ ही लिखता हूँ वजह क्या होगी .. राहत ज़रा सी आदत ज़रा सी ..
Category: 2 Line Shayri
मेरी न सही
मेरी न सही तो तेरी होनी चाहिए…. तमन्ना किसी एक की तो पूरी होनी चाहिए…!!
तिजोरी में छिपा बैठा है।
भूख फिरती है मेरे शहर में नंगे पाँव.. रिज़्क़ ज़ालिम की तिजोरी में छिपा बैठा है।
लफ्ज लफ्ज जोड़कर
लफ्ज लफ्ज जोड़कर बात कर पाता हूं उसपे कहते हैं वो कि, मैं बात बनाता हूं….
क्यों बनाते हो गजल
क्यों बनाते हो गजल मेरे अहसासों की मुझे आज भी जरुरत है तेरी सांसो की
मैं बंद आंखों से
मैं बंद आंखों से पढ़ता हूं रोज़ वो चेहरा, जो शायरी की सुहानी किताब जैसा है.!!
निगाहों का कसूर है !!
तुम ही तुम दिखते हो हमें कुछ हुआ तो जरूर है, ये आइनें की भूल है या मस्त निगाहों का कसूर है !!
इतने चेहरे थे
इतने चेहरे थे उसके चेहरे पर, आईना तंग आ के टूट गया|
पलकों की हद
पलकों की हद तोड़ के दामन पे आ गिरा, एक आंसू मेरे सबर की तौहीन कर गया…..
कभी यूँ भी हुआ है
कभी यूँ भी हुआ है हंसते-हंसते तोड़ दी हमने… हमें मालूम नहीं था जुड़ती नहीं टूटी हुई चीज़ें..!