यूँ सामने आकर ना बैठा करो.. सब्र तो सब्र है.. हर बार नहीं होता…
Category: 2 Line Shayri
बगावत पर उतर आयें हैं
दर्द फिर बगावत पर उतर आयें हैं सभी , लगता है जख्मों को तूने कुरेदा है अभी ।
आज तन्हा हुए तो
आज तन्हा हुए तो एहसास हुआ कई घंटे होते हैं एक दिन में ……..
शब-ए-आरज़ू
हज़ार दर्द शब-ए-आरज़ू की राह में है कोई ठिकाना बताओ कि क़ाफ़िला उतरे|
कल अचानक देखा
कल अचानक देखा तरसी निग़ाहों को किताबे आज भी छाती से लग के सोना चाहती है|
तुम्हे क्या पता
तुम्हे क्या पता, किस दर्द मे हूँ मैं.. जो लिया नही, उस कर्ज मे हूँ मैं..
अपनी नज़दीकियों से दूर
अपनी नज़दीकियों से दूर ना कर मुझे…,। मेरे पास जीने की वजहें बहुत कम है…।
दो लव्ज क्या लिखे
दो लव्ज क्या लिखे तेरी याद मे.. लोग कहने लगे तु आशिक बहुत पुराना है|
बहुत दिनों से
बहुत दिनों से इन आँखों को यही समझा रहा हूँ मैं ये दुनिया है यहाँ तो इक तमाशा रोज़ होता है|
बहुत तकलीफ देता है
सिसकना,भटकना,और फिर थम जाना…. बहुत तकलीफ देता है, खुद ही संभल जाना|