अंदाज़ भी अजब हैं

इस शहर के अंदाज़ भी अजब हैं साहब गूंगों से कहा जाता है बहरों को पुकारो |

तू तो मेरे बाद हुआ

तू तो मेरे बाद हुआ तनहा, हम तो तेरे साथ भी अकेले थे!

रातभर ये उधम मचाएगी

अब रातभर ये उधम मचाएगी, ख्वाहिशें दिन में खूब सोई है…

मैं रहा उम्र भर जुदा

मैं रहा उम्र भर जुदा ख़ुद से… याद मैं ख़ुद को उम्र भर आया…

मोहब्बत का असर

मोहब्बत का असर कुछ इस तरह जिन्दा कर देता हूँ मैं मीत, …बेवफाओं को भी गले लगाकर शर्मिंदा कर देता हूँ !!

सुन लेता हूँ

सुन लेता हूँ बडों की बातों को खामोश हो के, वक्त जाता है, पर अनुभव दे जाता है|

कभी आग़ोश में

कभी आग़ोश में यूँ लो की ये रूँह तेरी हो जाए।

मेरे लफ़्ज़ों को

तेरी यादों ने मेरे लफ़्ज़ों को कुछ यूँ सँवारा हैं.. जैसे चंदन की खुशबू से.. मंदिर महकता हैं..

कौन सा गुनाह कर बैठे हैं

खुदा जाने कौन सा गुनाह कर बैठे हैं हम, तमन्नाओं वाली उम्र में, तजुर्बे मिल रहे हैं..

वो अकेला टुकड़ा

बर्फ़ का वो अकेला टुकड़ा शराब में … जाने किसको कौन जला रहा है …

Exit mobile version