उदासी की वजह

किसी शायर से कभी उसकी उदासी की वजह पूछना… दर्द को इतनी ख़ुशी से सुनाएगा की प्यार हो जायेगा|

दिल-ए-नादाँ

दिल-ए-नादाँ न धड़क, ऐ दिल-ए-नादाँ न धड़क कोई ख़त लेके पड़ोसी के घर आया होगा

तरसते ही तरस्ते

हम तरसते ही तरस्ते ही तरसते ही रहे वो फ़लाने से फ़लाने से फ़लाने से मिले

माँ मुझे मारेगी

आज फिर माँ मुझे मारेगी बहुत रोने पर आज फिर गाँव में आया है खिलोने वाला|

तेरा हर लिबास

यूँ तोह तेरा हर लिबास मेरे सामने ही चढ़ा और उत्तर है। आज ये कौनसा लिबास था जो मेरे सामने भी था पर मेरे करीब नहीं

दो बातों से

मैं बस दो बातों से डरता हूँ एक तेरे रोने से, दूसरा तेरे को खोने से…॥

मुझे मालूम है

मुझे मालूम है की ये ख्वाब झूठे है और ख्वाहिशें अधूरी है, मगर जिंदा रहने के लिए कुछ गलतफहमियाँ भी जरूरी है…॥

उस शहर में

उस शहर में जीने की सज़ा काट रहा हूँ महफ़ूज़ नहीं है जहाँ अल्लाह का घर भी

बात समझ लेती थी

जब सिर्फ ” हूँ ” , “हां ” करता था तू , तो- मै -तेरी हर बात समझ लेती थी..!! आज जब बड़ा हो गया है तू तो कहता है, ..”माँ तू कुछ नहीं समझती है”..!!

हमारी शक्सियत का

हमारी शक्सियत का अंदाजा तुम क्या लगाओगी पगली के लोग रात को निंद से हमें जगाकर कहते है दिल टुटा है यार एक शायरी तो कर…

Exit mobile version