चराग़ ही ने उजालों की परवरिश की है चराग़ ही से उजाले सुबूत मांगते हैं हम अहले दिल से हमारी वतनपरस्ती का वतन को बेचने वाले सुबूत मांगते हैं…
Category: शायरी
जो देखता हूँ
जो देखता हूँ वो बोलने का आदि हूँ मैं इस शहर का सबसे बड़ा फसादी हूँ…
सुबह तक मैं सोचता हूँ
सुबह तक मैं सोचता हूँ शाम से जी रहा है कौन मेरे नाम से |
यूं खुले बाल लेकर
यूं खुले बाल लेकर छत पर तेरा रात को जाना चांदनी रातो में जेसे मैखाने खुले रख दिए हो|
उसकी मुहब्बत का सिलसिला
उसकी मुहब्बत का सिलसिला भी क्या अजीब है, अपना भी नहीं बनाती और किसी का होने भी नहीं देती….!!
तेज़ रफ़्तार हुआ है
तेज़ रफ़्तार हुआ है, ज़माना इतना के.. लोग मर जाते है, जीने का हुनर आने तक |
मेरे चाहने वाले बहुत हैं
मुझे घमंड था की मेरे चाहने वाले बहुत हैं इस दुनिया में, लेकिन बाद में पता चला की सब चाहते हैं, अपनी जरूरत के लिए..
तेरे इश्क में
तेरे इश्क में उन ऊंचाइयों को पा लिया हमने । की आँसू पलकों तक आते तो है , पर गिरते नहीं ।।
दिल-ए-वहशी
दिल-ए-वहशी को ख़्वाहिश है तुम्हारे दर पे आने की दिवाना है लेकिन बात करता है ठिकाने की |
अभी तो मेरी ज़रुरत है
अभी तो मेरी ज़रुरत है मेरे बच्चों को बड़े हुए तो ये ख़ुद इन्तिज़ाम कर लेंगे इसी ख़याल से हमने ये पेड़ बोया है हमारे साथ परिंदे क़याम कर लेंगे |