मेरी नरमी को मेरी कमजोरी मत समझना ए _नादान सर झुका के चलता हु तो सिर्फ़ अल्लाह के ख़ौफ़ से
Category: शर्म शायरी
दर्द का रिश्ता
बड़ा है दर्द का रिश्ता, ये दिल ग़रीब सही तुम्हारे नाम पे आयेंगे ग़मगुसार चले चले भी आओ… हुज़ूर-ए-यार हुई दफ़्तर-ए-जुनूँ की तलब गिरह में लेके गरेबाँ का तार तार चले चले भी आओ… गुलों में रंग भरे, बाद-ए-नौबहार चले चले भी आओ कि गुलशन का कारोबार चले क़फ़स उदास है यारों, सबा से कुछ… Continue reading दर्द का रिश्ता
मज़हबी दंगे में
ज़िन्दगी भर रामलीला में लड़े सच की तरफ मज़हबी दंगे में वो मारे गए रहमत मिया|
बाढ़ का पानी
बाढ़ का पानी घरों की छत तलक तो आ गया रेडियो पर बज रहा मौसम सुहाना आएगा|
जलील ना किया
जलील ना किया करो किसी फकीर को ऐ दोस्त…. वो भीख लेने नही तुम्हें दुआएँ देने आता है..
जब तक सत्य
जब तक “सत्य” घर से बाहर निकलता है. तब तक “झूठ” आधी दुनिया घूम लेता है”
कांटे वाली तार पे
कांटे वाली तार पे किसने गीले कपड़े टांगे हैं खून टपकता रहता है और नाली में बह जाता है क्यूँ इस फ़ौजी की बेवा हर रोज़ ये वर्दी धोती है
वादो से बंधी जंजीर
वादो से बंधी जंजीर थी जो तोड दी मैँने… अब से जल्दी सोया करेँगेँ, मोहब्बत छोड दी मैँने…!!!
वक़्त भरा जाता है
नाप के, वक़्त भरा जाता है,हर रेत घड़ी में इक तरफ़ ख़ाली हो जब फिर से उल्ट देते हैं उसको उम्र जब ख़तम हो,क्या मुझ को वो उल्टा नहीं सकता
कुछ लोग यूँ ही
कुछ लोग यूँ ही शहर में हमसे भी ख़फा हैं हर एक से अपनी भी तबीयत नहीं मिलती