कांटे वाली तार पे किसने गीले कपड़े टांगे हैं
खून टपकता रहता है और नाली में बह जाता है
क्यूँ इस फ़ौजी की बेवा हर रोज़ ये वर्दी धोती है
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कांटे वाली तार पे किसने गीले कपड़े टांगे हैं
खून टपकता रहता है और नाली में बह जाता है
क्यूँ इस फ़ौजी की बेवा हर रोज़ ये वर्दी धोती है