तुम किसी और से मालूम तो करके देखो,.. हम किसी ओर के कितने है और तुम्हारे कितने!!!
Category: शर्म शायरी
दिन जो गुज़रे
वो दिन जो गुज़रे तेरे साथ.. काश ज़िन्दगी उतनी ही होती.!! मुझें छोड़कर वो खुश हैं …तो शिकायत कैसी, अब मैं उन्हें खुश भी न देखूं तो मोहब्बत कैसी ?
दो अक्षर की मौत
दो अक्षर की मौत और तीन अक्षर के जीवन में, ढाई अक्षर का दोस्त हमेंशा बाजी मार जाता है…….।
प्रीत बँधती नहीं किसी
प्रीत बँधती नहीं किसी परिधि से,जिस्म कुछ नहीं, रूह से रूह के रिश्ते , कमाल बनते हैं,
कैसे बुरा कह दूँ
कैसे बुरा कह दूँ मैं तेरी बेवफ़ाई को,. यही तो है जिसने मुझे मशहूर किया है!
आँधियों को ज़िद्द है
आँधियों को ज़िद्द है जहाँ बिजलियाँ गिराने की, मुझे भी ज़िद्द है वही आशियाँ बसाने की, हिम्मत और हौंसले बुलंद हैं, खड़ा हूँ अभी गिरा नहीं हूँ, अभी जंग बाकी है और मैं भी अभी हारा नहीं हूँ !!
ना मेरा प्यार कम हुआ
ना मेरा प्यार कम हुआ, ना उनकी नफरत , अपना अपना फर्ज था, दोनों अदा कर गये
मुस्कुराहट के पीछे
ए दोस्त…. उदास होने के लिए उम्र पड़ी है….. नज़र उठाओ सामने ज़िंदगी खड़ी है…. अपनी हँसी को होंटो से न जाने देना…. क्योंकि आपकी मुस्कुराहट के पीछे दुनिया पड़ी है….
उमर निकल गई
पात-पात झर गये कि शाख़-शाख़ जल गई, चाह तो निकल सकी न, पर उमर निकल गई
संवर क्यूँ नहीं जाते
अखबार में रोजाना वही शोर है,यानी अपने से ये हालात संवर क्यूँ नहीं जाते