सिर्फ हौसला दे दे

तू पँख ले ले, मुझे सिर्फ हौसला दे दे । फिर आँधियों को मेरा नाम और पता दे दे”..

बहुत आसान है

बहुत आसान है पहचान इसकी अगर दुखता नहीं तो दिल नहीं

ज़माने को बदल डालेंगे

जब भी चाहेंगे ज़माने को बदल डालेंगे सिर्फ़ कहने के लिये बात बड़ी है यारों.

अपने तारीक मकानों से

अपने तारीक मकानों से तो बाहर झाँको ज़िन्दगी शम्मा लिये दर पे खड़ी है यारों

किस की नज़्म

अब उसका फ़न तो किसी और से मनसूब हुआ मैं किस की नज़्म अकेले में

बगैर दस्तक के

तेरी याद जब आती है तो, उसे रोकते नही हैं हम….!! क्यूँकि, जो बगैर दस्तक के आते हैं, वो अपनेही होते हैं..!!

तेरे इंतज़ार का

पलकों पे रुक गया है समन्दर खुमार का, कितना अजब नशा है तेरे इंतज़ार का..

शान ओ सौकत पर

कल तन के चलते थे जो आपने शान ओ सौकत पर.. शम्मा तक नही जलती आज उनके कुर्बत पर ।

दोनों हाथ खली थे

यादे रब सिकंदर के हौसले तो आली थे.. जब गया था दुनिया से दोनों हाथ खली थे ।।

वक्त के पंजे से

वक्त के पंजे से बचकर कोई कहाँ गया है । जरा मिट्टी से तो पूछो सिकंदर कहाँ है।

Exit mobile version