घुट घुट के जीता रहे

घुट घुट के जीता रहे फ़रियाद न करे, लाएँ कहाँ से, ऐसा दिल तुम्हें याद न करे…

दाद न देंगे तो

दाद न देंगे तो भी शेर बेहतरीन रहेंगे सजदा न भी करे ख़ुदा ख़ुदा ही रहेंगे…

मैं थक गया था

मैं थक गया था परवाह करते-करते…..जब से लापरवाह हूँ, आराम सा हैं..

पानी भी क्या अजीब चीज़ है

पानी भी क्या अजीब चीज़ है नजर उन आँखों में आता है जिनके खेत सूखे हैं

बहुत संभल के

बहुत संभल के चलने से….. थक गया है दिल अब लड़खड़ा के धड़ाम से……. गिरने को जी करता है

जिस्म के घाव तो

जिस्म के घाव तो, भर ही जायेंगे एक दिन… खेरियत उनकी पूछो, जिनके दिल पर वार हुआ है…

अपनी ही एक अदा है..

दर्द की भी अपनी ही एक अदा है…वो भी सिर्फ सहने वालों पर ही फिदा है..

कोई अच्छा लगा

दिल भी न जाने किस किस तरह ठगता चला गया…, कोई अच्छा लगा और बस…लगता चला गया…!

दूर हो जाने की तलब है

दूर हो जाने की तलब है तो शौक से जा बस याद रहे की मुड़कर देखने की आदत इधर भी नही!!

दो निवालों के खातिर

दो निवालों के खातिर मार दिया जिस परिंदे को.. बहुत अफ़सोस हुआ ये जान कर वो भी दो दिन से भूखा था|

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