लोग अकसर उस जगह पे जाते हैं जहा पे #इतिहास होता हैं………… #मगर हम तो जहा भी जाते हैं…. वहा #इतिहास_बना_के_आते हैं….
Category: व्यंग्य शायरी
एक आँसू भी गिरता है
एक आँसू भी गिरता है तो लोग हजार सवाल पूछते हैं, .. ऐ बचपन लौट आ मुझे खुल कर रोना है…
अनुभव कहता है…
अनुभव कहता है… खामोशियाँ ही बेहतर हैं, शब्दों से लोग रूठते बहुत हैं
तू छोड़ दे कोशिशें..
तू छोड़ दे कोशिशें.. इन्सानों को पहचानने की…! यहाँ जरुरतों के हिसाब से .. सब बदलते नकाब हैं…! अपने गुनाहों पर सौ पर्दे डालकर. हर शख़्स कहता है- ” ज़माना बड़ा ख़राब है।”
हमने कब कहा कीमत समझो
हमने कब कहा कीमत समझो तुम मेरी… , हमें बिकना ही होता तो यूँ तन्हा ना होते…. …… ……….
मेरी गली से गुजरा.. घर तक
मेरी गली से गुजरा.. घर तक नहीं आया, , , , अच्छा वक्त भी करीबी रिश्तेदार निकला… …… ………..
मेरे लफ़्ज़ों से न कर मेरे क़िरदार का
मेरे लफ़्ज़ों से न कर मेरे क़िरदार का फ़ैसला; तेरा वज़ूद मिट जायेगा मेरी हकीक़त ढूंढ़ते ढूंढ़ते।
हवा के साथ उड़ गया घर इस परिंदे का
हवा के साथ उड़ गया घर इस परिंदे का, कैसे बना था घोसला वो तूफान क्या जाने !
गलतफहमियोँ की हद तब हुई….
गलतफहमियोँ की हद तब हुई….जब हमने उनसे कहा. ‘रुको…, मत जाओ’…, और उन्होंने सुना…‘रुको मत…जाओ’…!!
जो चहरे दिखते नहीँ थे
जो चहरे दिखते नहीँ थे मोहल्ले मै.. . . भूकम्प ने सबका दीदार करा दिया ..