हम अपने उसूलों से

हम अपने उसूलों से, डगमगाये तो थे ज़रूर; पर आप भी मुस्करा कर, पलटे तो थे हुज़ूर!

देखा है क़यामत को

देखा है क़यामत को,मैंने जमीं पे नज़रें भी हैं हमीं पे,परदा भी हमीं से|

पहले तुझे छूकर पीते थे

पहले तुझे छूकर पीते थे आजकल गुलाब निचोड़ते हैं पैमाने में हम|

माना कि मोहब्बत

माना कि मोहब्बत बेइंतहा है आपसे… पर क्या करें, थोड़ा सा इश्क़ खुद से भी है हमें.. ।।

ह्रदय की आंखो से

ह्रदय की आंखो से प्रभु का दीदार करो… दो पल का है अन्धेरा बस सुबह का इन्तेजार करो.. क्या रखा है आपस के बैर मे मेरे साथियों , छोटी सी है ज़िंदगी बस , हर किसी से प्यार करो.।

उन रस भरी आँखों में

उन रस भरी आँखों में हया खेल रही है दो ज़हर के प्यालों में क़ज़ा खेल रही है|

लकीर बन कर रह गया

लकीर बन कर रह गया नसीब हाथों में छूट गया उनसे मेरा साथ बातों बातों में!

मेरी बातों से

मेरी बातों से कुछ सबक़ भी ले .. मेरी बातों का कुछ बुरा भी मान ..

आंखें अपनी साफ़ तो रखिये

आंखें अपनी साफ़ तो रखिये ज़रा.. उन में खुद को देखता है आइना.!

हर रंग लगा के

हर रंग लगा के देखा चेहरे पर रंग उदासी का उतरा ही नही..!!

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