मुड़कर नहीं देखता अलविदा के बाद , कई मुलाकातें बस इसी गुरुर ने खो दी।
Category: मौसम शायरी
कहाँ तलाश करोगे
कहाँ तलाश करोगे तुम दिल हम जैसा.., जो तुम्हारी बेरुखी भी सहे और प्यार भी करे…
जब भी देखता हूँ
जब भी देखता हूँ तेरी मोहब्बत की पाकीज़गी दिल करता है तेरी रूह को काला टीका लगा दूँ…
रात होते ही
रात होते ही, तेरे ख़यालों की सुबह हो जाती है
धीरे धीरे बहुत कुछ
धीरे धीरे बहुत कुछ बदल रहा है… लोग भी…रिश्ते भी…और कभी कभी हम खुद भी…
हमने दिया है
हमने दिया है, लहू उजालों को. हमारा क़र्ज़ है इस दौर के सवेरों पर….
मत दो मुझे खैरात
मत दो मुझे खैरात उजालों की…… अब खुद को सूरज बना चुका हूं मैं..
हजारो अश्क मेरे
हजारो अश्क मेरे आँखो की हिरासत में थे फिर तेरी याद आई और उन्हें जमानत मिल गई
ज़िन्दगी हो तो कई
ज़िन्दगी हो तो कई काम निकल आते है याद आऊँगा कभी मैं भी ज़रूरत में उसे
कल ख़ुशी मिली थी
कल ख़ुशी मिली थी जल्दी में थी, रुकी नहीं….